लोकसभा में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक (One Nation, One Election Bill) पेश किया गया। इस विधेयक के तहत केंद्र सरकार ने प्रस्तावित किया कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं। विधेयक के समर्थन में 269 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 198 वोट आए। यह विधेयक भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है और इस पर देशभर में व्यापक बहस हो रही है।
प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रियाएं:
राहुल गांधी:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधेयक के खिलाफ अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र और राज्यों के अधिकारों के खिलाफ बताया। राहुल गांधी ने कहा कि यह विधेयक केंद्र सरकार के लिए सत्ता को और अधिक केंद्रीत करने का तरीका है, जो राज्यों के अधिकारों और लोकतांत्रिक विविधता को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इस विधेयक का इस्तेमाल विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए कर सकती है, खासकर छोटे और क्षेत्रीय दलों को।
प्रियंका गांधी:
प्रियंका गांधी ने भी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए एक साथ चुनावों के आयोजन से राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा और छोटे दलों को अपनी राजनीति करने का अवसर कम होगा। प्रियंका ने इसे केंद्रीयकरण की ओर बढ़ता हुआ कदम बताया और कहा कि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में असंतुलन पैदा होगा।
तेजस्वी यादव:
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने विधेयक पर अपनी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनावों का आयोजन छोटे दलों को नुकसान पहुंचाएगा, क्योंकि यह बड़े और राष्ट्रीय दलों को बढ़ावा देने का काम करेगा। तेजस्वी ने इसे भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि इससे राज्यों की आवाज़ दब सकती है, जबकि लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर भी असर पड़ेगा।
अमित शाह:
गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से चुनावी खर्च में कमी आएगी, चुनावों की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और सरकारों को लंबी अवधि के लिए स्थिरता मिलेगी। अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक देश में राजनीतिक स्थिरता लाएगा और विकास कार्यों को गति देगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह चुनावी प्रणाली को और अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में एक कदम है।
राजीव शुक्ला:
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला ने इस विधेयक पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विपक्षी दलों की आवाज़ को दबाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करेगा। शुक्ला ने कहा कि इसके लागू होने से चुनावों की निष्पक्षता और विविधता पर सवाल उठ सकते हैं, क्योंकि यह मुख्य रूप से बड़े राष्ट्रीय दलों के पक्ष में होगा।
गौरव गोगोई:
लोकसभा सदस्य गौरव गोगोई ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह एक असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक कदम है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ बताया और कहा कि यह छोटे दलों को हाशिये पर डाल सकता है। गोगोई ने आरोप लगाया कि भाजपा इस विधेयक का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए करना चाहती है और इससे राज्य सरकारों को कमजोर किया जाएगा।
कल्याण बनर्जी:
टीएमसी (TMC) के नेता कल्याण बनर्जी ने इस विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई और इसे देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से राज्यों के चुनावी अधिकारों में हस्तक्षेप होगा और यह केंद्र सरकार के लिए एक और तरीके से राज्यों पर नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास हो सकता है। कल्याण ने यह भी कहा कि इससे राजनीतिक माहौल में असंतुलन पैदा होगा और छोटे दलों को नुकसान पहुंचेगा।
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक पर लोकसभा में हुए मतदान में, जहां विधेयक के पक्ष में अधिक वोट पड़े, वहीं विपक्षी दलों ने इसे भारतीय लोकतंत्र और राज्य की स्वायत्तता के खिलाफ बताया। विभिन्न नेताओं ने इस विधेयक पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया, जिसमें प्रमुख रूप से यह बात उठाई गई कि एक साथ चुनाव कराने से बड़े राष्ट्रीय दलों को फायदा होगा और छोटे दलों को नुकसान होगा, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।